एप्लिकेशन प्रॉक्सी और फिल्टरिंग फायरवाल में क्या अंतर होते है
एप्लिकेशन प्रॉक्सी और फिल्टरिंग फायरवाल में क्या अंतर होते है फ़ायरवॉल प्रकार फायरवाल से आप क्या समझते हैं? मल्टीलेयर फायरवाल कैसे कार्य करती है? फ़ायरवॉल क्या है इसके उपयोग फायरवॉल किसे कहते हैं फायरवॉल तुमच्या सिस्टीमला हॅकर्सपासून वाचवते. फ़ायरवॉल के उपयोग कंप्यूटर सिस्टम में अनाधिकृत प्रवेश को कौन रोकता है?
एप्लिकेशन प्रॉक्सी फायरवाल, प्रॉक्सी सर्वरों में लगाई जाती है, जबकि पैकेट फिल्टरिंग फायरवाल आम तौर पर रूटों (मार्ग) में लगाई जाती है।
एप्लिकेशन प्रॉक्सी फायरवाल एप्लिकेशन लेयर (अनुप्रयोग की सतह) पर काम करती है, जबकि पैकेट फिल्टरिंग फायरवाल नेटवर्क लेयर (नेटवर्क की सतह) पर काम करती है। इस प्रकार एप्लिकेशन प्रॉक्सी फायरवाल एप्लिकेशन विशिष्ट डेटाओं को रोक सकती है, जबकि पैकेट फिल्टरिंग फायरवाल नहीं रोक सकती।
एप्लिकेशन प्रॉक्सी फायरवाल भरोसेमंद (ट्रस्टेड) और गैरभरोसेमंद (अनट्रस्टेड) नेटवर्कों के बीच होती है और इनके बीच किसी भी तरह के सीधे कनेक्शन की इजाजत नहीं देती। जबकि इस प्रकार के सीधे संबंध की इजाजत पैकेट फिल्टरिंग फायरवाल ही देती है।
एप्लिकेशन-प्रॉक्सी फायरवाल का उपयोग प्रॉक्सी सर्वरों में किया जाता है। यदि आप किसी बाहरी नेटवर्क से जुड़ना चाह रहे हैं तो आपको प्रॉक्सी सर्वर के जरिए जुड़ना चाहिए।
– कुछ निश्चित नियमों के आधार पर ही प्रॉक्सी फायरवाल आपको जुड़ने की अनुमति देगी, वरना रोक दिया जाएगा।
– ये नियम उपयोक्ता के लॉग-इन नेम, सोर्स, मशीन के आईपी पतों आदि के आधार पर बनते हैं। उदाहरण के लिए आप MP3 और वीडियो फाइलों को रोक सकते हैं।
पैकेट-फिल्टरिंग फायरवाल
पैकेट फिल्टरिंग फायरवाल पैकेट हेडर में सूचनाओं पर आधारित डेटाओं को नियंत्रित करती है। इसे आप यूं भी समझ सकते हैं, जब डेटा नेटवर्क पर ट्रांसमिट होते हैं तो ये छोटे-छोटे पैकेटों (समूहों) के रूप में बंट जाते हैं।
– इनमें हर पैकेट का एक हेडर होता है और मूल डेटा का हिस्सा जिसे कंटेंट कहते हैं, इस हेडर में स्रोत, स्थान, पोर्ट और क्रम में लगे पैकेटों की संख्या का ब्यौरा होता है।