डिजिटल सिगनल किसे कहते है
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वर्तमान समय की सम्पूर्ण कम्प्यूटिंग तकनीक डिजिटल सिंगल पर ही आधारित है। इसे हिंदी में अंकीय संकेत कहते हैं। यदि डिजिटल सिगनल को परिभाषित करें तो कह सकते हैं कि डिजिटल सिगनल या अंकीय संकेत एक अ-सतत संकेत होता है जिसका समय परिवर्ती गुण (चर) किसी अन्य समय परवर्ती राशि को निरिपित नहीं करता है।
इसे और अच्छी तरह से समझने के लिये कह सकते हैं कि एक तार में विद्युत की दो अवस्थाओं को माप के द्वारा रिप्रजेन्ट करते हैं, इस प्रक्रिया में विद्युत प्रवाह कभी उच्च रहता है और कभी निम्न रहता है। इस परिवर्तन को डिजिटल सिगनल के रूप में प्रयोग किया जाता है और इसे 0 और 1 अंक के द्वारा दर्शाते हैं।
(a) सिम्पलेक्स कम्युनीकेशन
संचार के संदर्भ में सिम्पलेक्स कम्युनिकेशन एक ऐसा संचार होता है जिसमें सूचना या डेटा को एक दिशा में ही भेजा जाता है। उदाहरण के लिये रेडियो, टेलीविजन, इसमें सूचनाओं को ट्रांसमीटर के द्वारा बहुत से रिसीवरों के लिये भेजा जाता है।
(b) हाफ-डुपलेक्स कम्युनीकेशन
संचार के संदर्भ में हाफ डुपलेक्स कम्युनिकेशन एक ऐसा संचार होता है जो दोनों डायरेक्शन्स में काम करता है लेकिन यह एक समय में एक ही डायरेक्शन में काम करता है। उदाहरण के लिये पुलिस के द्वारा प्रयोग किया जाने वाला वॉकी-टॉकी। इसमें जब एक तरफ से बोला जाता है तो दूसरी तरफ वाला केवल सुन सकता है। जब बोलने वाला बोलना बंद करता है तभी दूसरी तरफ वाला अपना मैसेज बोलता है। वास्तव में इसमें केवल एक ही चैनल को प्रयोग किया जाता है जिसे दो लोग, दो तरफा संचार में वैकल्पिक रूप से प्रयोग करते हैं।
– हाफ डुप्लेक्स डेटा ट्रांसमिशन की वह विधि है जिसमें डेटा किन्हीं दो डेटा केंद्रों से आदान-प्रदान होना संभव होता है, परंतु एक ही समय में केवल यह तो डेटा दिए जा सकते हैं अथवा लिए जा सकते है, परंतु दोनों काम एक साथ नहीं हो सकते हैं।
– इस विधि में यह व्यवस्था रहती है कि किन्हीं दो केंद्रो के मध्य डेटा का आदान-प्रदान अर्थात दोनों ही कार्य किए जा सकते हैं। यद्यपि एक समय में डेटा केवल किसी एक से दूसरे स्थान को दिए जा सकते हैं।
यह विधि दो पक्ष वाली तो होती है परंतु क्रियाशील केवल आधे रूप में होती है। तात्पर्य यह है कि इससे कम्प्यूटर में डेटा का आवागमन दोनों कार्य एक साथ नहीं हो सकते हैं।