डि-मॉड्यूलेशन किसे कहते है
डि-मॉड्यूलेशन किसे कहते है मॉडुलन कितने प्रकार का होता है Demodulation परिभाषा आयाम मॉडुलन क्या है Demodulation in Hindi Aayam modulan kya hai Modulation and demodulation
किसी दूसरे कम्प्यूटर द्वारा भेजी गई सूचना को जब हम अपने कम्प्यूटर के द्वारा प्राप्त करते हैं तो इस प्रक्रिया को Demodulation कहते हैं। कोई भी सूचना एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर में जिस गति से जाती है उस गति को Baud Rate कहते हैं। जिन मोडेम की गति 2400 बिट पर सेकेंड से अधिक होती है उन्हें हाई स्पीड मोडेम्स के नाम से जाना जाता है।
मॉडेम का ड्राइवर
आप चाहे इंटरनेल मॉडेम को प्रयोग करें या एक्सटर्नल मॉडेम को, दोनों को प्रयोग करके के लिये जरूरी है कि इन्हें कम्प्यूटर से जोड़ने के बाद, इनके डिवाइस ड्राइवर को विंडोज़ या किसी अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम में, जोकि आपके कम्प्यूटर में लोड है, में इंस्टॉल करें। जब इनका ड्राइव सही ढंग से इंस्टॉल होगा तभी यह सही काम करेंगे।
आजकल यूएसबी पोर्ट से जुड़कर काम करने वाले मॉडेम भी प्रयोग में लाये जा रहे हैं। इन्हें पेन ड्राइव की तरह से कम्प्यूटर की USB पोर्ट से जोड़ दिया जाता है और फिर इनके ड्राइव को इंस्टॉल कर दिया जाता है। DSL या ADSL मॉडेम को लैन पोर्ट से जोड़कर प्रयोग करते हैं। ब्रॉडबैंड इंटरनेट को इन्हीं के जरिये प्रयोग करते हैं। आजकल इन्हें वॉयरलेस बना दिया गया है जिससे लैपटॉप और मोबाइल फोन जैसी डिवाइसें इससे आसानी से कनेक्ट हो जाती हैं। आइये मॉडेम से जुड़ी कुछ और तकनीक जानकारी प्राप्त करें।
Band Width:
कम्प्यूटर द्वारा सम्पन्न होने वाले डिजिटल कम्युनीकेशन में जिस लॉजिकल या फिजिकल (भैतिक) पाथ को प्रयोग किया जाता है उसकी डेटा ले जाने की क्षमता को बैंड विड्थ कहते हैं। यह वास्तव में बिट रेट होता और उसे बिट पति सेकेंट में मापा जाता है। इसे नेटवर्क बैंड विड्थ, डेटा बैंड विड्थ और डिजिटल बैंडविड्थ के नाम से भी जानते हैं।
Baud Rate:
मॉडेम द्वारा स्थापित किये जाने वाले संचार या कम्युनीकेशन में baud के यूनिट होती है इसे मॉड्यूलेशन रेट या पल्स रेट भी कहा जाता है। इसे प्रति सेकेंड की दर से मापते हैं। इसकी खोज एक फ्रासीसी इंजीनियर ने Emile Baudot ने 5 बिट टेली टाइप कोड के रूप में की थी। बड रेट वास्तव में सिगनल या सिम्बल की उस संख्या से संदर्भित होता है जो प्रति सेकेंड घटित होते हैं।
Wireless Communication:
यह सूचनाओं का वह आदानप्रदान होता है जिसमें दो या दो से ज्यादा प्वाइंटों के मध्य बिना किसी इलेक्ट्रिकल कंडक्टर के संचार स्थापित होता है। इस संदर्भ में सबसे कॉमन है रेडियो तकनीक । इसमें रेडियो तरंगों का प्रयोग किया जाता है और इनकी क्षमता कुछ मीटर से लेकर लाखों करोंड़ों मील तक हो सकती है।
Synchronous Communication:
इस तरह के कम्युनीकेशन में डेटा को एक लगातर प्रवाहित होने वाली धारा के रूप में एक समान गति से भेजा जाता है। इसमें एक कॉमन क्लॉक होती है जो डेटा को ट्रांसमिट करने वाली और रिसीव करने वाली डिवाइस को सिंक्रोनाइज्ड करती है। इसकी वजह से डेटा एक समान गति से लगातार प्रवाहित होता रहता है। इसमें किसी स्टार्ट या स्टॉप बिट्स का प्रयोग नहीं किया जाता है।