फुल-डुपलेक्स कम्युनीकेशन क्या होता है
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संचार के संदर्भ में फुल डुपलेक्स कम्युनिकेशन एक ऐसा संचार होता है जो आपको दो तरफा कम्युनीकेशन की सुविधा प्रदान करता है। घरों में प्रयोग होने वाला लैंड लाइन टेलीफोन वास्तव में फुल डुपलेक्स का ही एक उदाहरण हैं। इसमें आप एक ही समय में बोल भी सकते हैं और सुन भी सकते हैं। वर्तमान समय में प्रयोग होने वाले सभी मोबाइल फोन भी फुल डुपलेक्स संचार का ही प्रयोग करते हैं।
कम्प्यूटर नेटवर्क के संदर्भ में ईथरनेट नेटवर्क भी इसी संचार का प्रयोग करता है और इसके लिये एक ऐसी तार का प्रयोग करता है
. जिसमें एक जैकेट के अंदर तार के दो टिव्सटेड पेयर होते हैं जो सीधे-सीधे नेटवर्क डिवाइसों से जुड़े रहते हैं। इसमें एक पेयर डेटा पैकेट को रिसीव करता है और दूसरा पेयर डेटा पैकैट को भेजता है। गीगाबिट ईथरनेट में प्रति डायरेक्शन दो टिवस्टिड पेयर प्रयोग किये जाते हैं।
फुल डुप्लेक्स विधि की विशेषता यह है कि इसमें किन्हीं दो कम्प्यूटरों के मध्य आदान-प्रदान (दोनों ही कार्य) एक साथ सम्पन्न हो सकते हैं। इस विधि में ऐसे यंत्रों का प्रयोग किया जाता है जो किन्हीं दो कम्प्यूटरों के मध्य डेटा को एक साथ एक-दूसरे कम्प्यूटर तक पहुंचा सकते हैं। ,
उदाहरण के लिए, यदि एक टर्मिनल से हम डेटा मुख्य कम्प्यूटर को भेज रहे हैं, तो यह टर्मिनल उसी समय मुख्य कंप्यूटर से आने वाले डेटा भी प्राप्त कर सकता है। अर्थात यह विधि दो तरफा यातायात वाली सड़क की तरह कार्य करती है जिसमें कि एक ही साथ दोनों ओर से वाहनों का आवागमन होता है।
फुल डुप्लेक्स विधि में मल्टीप्लैक्सर नामक यंत्र का प्रयोग किया जाता है जो किसी टर्मिनल से डेटा भेजते समय किसी दूसरे टर्मिनल से आने वाले डेटा को ग्रहण भी कर सकते हैं।
वास्तव में कम्प्यूटर एक ही समय में आदान-प्रदान (दोनों कार्य) नहीं कर पाता है। इसका सीपीयू एक समय में या तो कोई डेटा प्राप्त कर सकता है या भेज सकता है।
– दोनों ही क्रियाों में को एक साथ संपन्न करने के लिए मल्टीप्लैक्सर में एक बफर मेमोरी लगी होती है, जो ऐसी स्थिति में, जब कम्प्यूटर किसी कार्य में व्यस्त है तो बीच में आने वाले आंकड़ों के अस्थाई संग्रहण का कार्य करती है एवं सीपीयू में किए जाने वाले कार्य के समाप्त होते ही वह डेटा भेज दिए जाते हैं। इस विधि में डेटा का दोनों ओर से आदान-प्रदान होता है।