मल्टी फंक्शन प्रिंटर क्या होता है
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जैसाकि आप पढ़ चुके हैं कि आजकल जो प्रिंटर प्रयोग किये जा रहे हैं उनमें स्कैनर भी होता है। इन्हें मल्टी फंक्शन डिवाइस या प्रिंटर भी कहते हैं। इसलिये स्कैनर के बारे में जानकारी प्राप्त करना परम आवश्यक है। आइये समझें कि इनके स्कैनरों को कैसे प्रयोग किया जाता है।
⇨ स्कैनर का इस्तेमाल आजकल कंप्यूटर में इनपुट उपकरण के तौर पर होता है। इसके द्वारा आप छपे हुए कागज को फोटो या टेक्स्ट के रूप में इनपुट कर सकते हैं। स्कैनर को कंप्यूटर में लगी हुई यूएसबी, पैरलल या सीरियल पोर्ट से जोड़ा जाता है।
⇨ आजकल ऐसे स्कैनर भी आ रहे हैं जो IEEE पोर्ट से भी जोड़े जा सकते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा प्रयोग USB पोर्ट वाले स्कैनरों का होता है।
⇨ स्कैनर अपने शुरुआती दौर में हैंड हेल्ड स्कैनर कहलाते थे, इन्हें हाथ में लेकर प्रयोग किया जाता था। आज के बार कोड स्कैनर इन्हीं का रूप हैं। कुछ समय बाद A4 साइज के या इससे भी बड़े साइज के स्कैनर प्रयोग किये जाने लगे। आजकल इन्हें प्रिंटर में जोड़ा गया है। फोटो
⇨ स्कैनर चाहे प्रिंटर में जुड़ा हो या फिर अलग से हो दोनों की कार्य प्रणाली एक जैसी ही होती है। इसमें एक ग्लास की प्लेट होती है। जिस पर उस डॉक्यूमेंट को रखते हैं जिसे स्कैन करना होता है। इसके नीचे एक फिक्सड मिरर होता है और एक मूवेवल लाइट सोर्स होता है।
⇨ इसके नीचे एक मूवेवल मिरर होता है। स्कैनर में लगी CCD डिवाइस प्रकाश कैप्चर करती है। मूव होने वाला लाइट सोर्स जिस तरह से लाइट छोड़ता है यह CCD उसे कैप्चर करके डिजिटल फार्मेट में बदल देती है। निम्न रेखाचित्र में आप इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को देख कर समझ सकते हैं
⇨ स्कैनर को इंस्टॉल करते समय आप कंप्यूटर और स्कैनर दोनों की विद्युत आपूर्ति बंद करके रखें और फिर इसकी केबल को कंप्यूटर की केबल से जोड़ दें। वर्तमान समय में ज्यादातर स्कैनर यूएसबी पोर्ट से काम करते हैं। इसलिए इसे यूएसबी पोर्ट कनेक्टर से ही जोड़ें।
⇨ इसके पश्चात आप इसके ड्राइवर को अपने कंप्यूटर में इंस्टॉल करें और फिर इसकी जांच करें। यदि यह रंगीन स्कैनर है और फिर ब्लैक एंड व्हाइट स्कैनिंग कर रहा है तो इसका अर्थ है कि आपने इसके सही मोड का चुनाव नहीं किया है और फिर इसके ड्राइवर को ठीक तरह से इंस्टॉल नहीं किया है। , इसलिए इसे सबसे पहले स्कैनिंग मोड की जांच करें। सामान्य तौर पर स्कैनर लाइन आर्ट, ग्रे और रंगीन तीन मोड में काम करते हैं। आप जिस मोड की स्कैनिंग करना चाहते हैं उस मोड का स्लेक्शन कर लें।
⇨ स्कैनर के ऊपर लगा हुआ कांच साफ होना चाहिए यदि उसमें धूल या गंदगी है तो स्कैनिंग की क्वालिटी भी अच्छी नहीं होगी। स्कैनर को विद्युत आपूर्ति सीवीटी या यूपीएस जैसे उस उपकरण से मिलना चाहिए जिससे आपका कंप्यूटर जुड़ा हुआ है। जिससे कि वह अच्छी क्वालिटी की स्कैनिंग कर सकें।
⇨ स्कैनर को वार्मअप होने में या इनीसिलाइज़ होने में कुछ समय लगता है। अत: इसका ऑन/ऑफ स्विच ऑन करने के बाद कुछ समय तक इंतजार करें और जब यह रेडी पोजीशन में आ जाए तो तभी स्कैनिंग प्रक्रिया प्रारंभ करें। अन्यथा कई बार स्कैनिंग सॉफ्टवेयर अपने आप बंद हो सकता है। हमेशा स्कैनर के साथ आये ड्राइवर और स्कैनिंग सॉफ्टवेयर को ही प्रयोग करें।
⇨ स्कैनर को यदि आप एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा रहे हैं तो इसके लॉग स्विच को लॉग कर दें। जिससे कि इसके अंदर की स्कैनिंग राड हिलें नहीं बल्कि एक जगह स्थिर रहे।
⇨ इसी तरह से जब इसे दोबारा इंस्टॉल करें तो इस स्विच को अवश्य अन-लॉक करें अन्यथा स्कैनिंग का कार्य प्रारंभ नहीं होगा। इन सब बातों का ध्यान रखकर आप प्रिंटर में जुड़े स्कैनर और अलग से प्रयोग किये जा रहे स्कैनर दोनों लंबे समय तक सही सलामत रख सकते हैं और आसानी से प्रयोग भी कर सकते हैं।