यूपीएस की बैटरी कैसी होती है
यूपीएस की बैटरी कैसी होती है इन्वर्टर बैटरी की जानकारी इन्वर्टर बैटरी बैकअप कैसे बढ़ाये बैटरी की ग्रेविटी कैसे बढ़ाये इन्वर्टर की बैटरी फटने के कारण इनवर्टर बैटरी कितने प्रकार के होते हैं इनवर्टर बैटरी कितने घंटे में चार्ज होती है ट्यूबलर बैटरी क्या है 12 volt battery banane ka tarika
यूपीएस से बैकअप प्राप्त करने के लिये इसमें बैटरियों का प्रयोग किया जाता है। यूपीएस आपको कितने समय तक बैकअप प्रदान करेगा यह इस बात पर निर्भर होता है कि बैटरियों किस साइज की हैं और उनके डिस्चार्ज होने की दर क्या है। इसके अलावा यूपीएस में लगे इंवर्टर की क्षमता पर यह निर्भर होता है कि कितना बैकअप प्राप्त होगा।
यूपीएस में प्रयोग होने वाली लेड-एसिड बैटरी की टोटल क्षमता वास्तव में उसके डिस्चार्ज होने के समय पर निर्भर होती है। यह समय किया होगा इसका उल्लेख Peukert’s law में किया गया है। वैसे यूपीएस के निर्माता इस बात उल्लेख यूपीएस के साथ आये दस्तावेजों में करते हैं। बड़े सिस्टमों में लोड की गणना करके बैटरी के डिस्चार्ज होने की दर का पता लगाते हैं जिससे यह पता चल जाता है कि कितने समय का बैकअप मिलेगा।
⇨ यूपीएस के साथ प्रयोग होने वाली बैटरी चार्ज है या डिस्चार्ज, यह बैटरी में प्रयोग किये रसायनों के रियेक्शन पर निर्भर होता है। ये कैमिकल ही इलैक्ट्रोड और इलैक्ट्रोलाइट के मध्य इंटरफेस का काम करता है।
⇨ जब बैटरी चार्ज होती है तो यह चार्ज इंटरफेस रूपी कैमिकल में स्टोर होता रहता है। इसीलिये इसे इंटरफेस चार्ज के नाम की संज्ञा दी जाती है।
⇨ यदि बैटरी आप यह चाहते हैं कि यूपीएस की बैटरी लंबे समय तक चलें और देर तक बैकअप प्रदान करें तो इनकी चार्जिंग स्लो रखनी चाहिये।
⇨ आजकल के यूपीएस और इंवर्टरों में फास्ट चार्ज नामक एक स्विच होते हैं जिसे ऑन करने से बैटरी स्पीड में चार्ज होने लगती है लेकिन इससे बैकअप लंबे समय तक नहीं मिलता है। अत: ऐसी अवस्था से बचने के लिये बैटरी को सामान्य या स्लो मोड में ही चार्ज करें।
⇨ कई बार यूपीएस की जरूरत के अनुसार बैटरियों को सीरियल पैरलल रूप से आपस में जोड़कर कनेक्ट करना होता है। ऐसे कनेक्शन बनाते समय सावधानी बरतनी चाहिये और नयी बैटरी से साथ कभी भी पुरानी बैटरी नहीं जोड़नी चाहिये। ऐसा करने से वोल्टेज ड्रॉप हो सकता है और यूपीएस उतना बैकअप नहीं देगा जितना उसे देना चाहिये।