ससंकासन कैसे करे

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itipapers Staff asked 3 years ago

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itipapers Staff answered 1 year ago

ससंकासन कैसे करे
वज्रासन की स्थिति में बैठकर दोनों हाथों को जांघों पर रख लो। फिर धीरे-धीरे सांस लेते हुए दोनों हाथों को कानों पर चिपकाते हुए ऊपर की तरफ उठाओ। फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए उसी स्थिति में सामने की तरफ इतना झुको कि माथा ज़मीन से स्पर्श करने लगे। .. इस स्थिति में यहां तक हो सके सांस को बाहर ही रोके रखो। फिर धीरे-धीरे सांस लेते हुए पहली स्थिति में आकर हाथों को नीचे ले आओ। प्रत्येक मिनट के विश्राम के बाद अभ्यास को पांच बार दोहराएं। इस आसन से वस्ती प्रदेश का विकास होता है। पीठ की दर्द और जिगर के रोगियों के लिए यह खास तौर पर लाभदायक है। यदि काम-इन्द्रियां कम विकसित हों तो इस आसन के नियमित अभ्यास से उनका विकास होता है। औरतों की गर्भपात की शिकायत को भी दूर करता है।

तोलांगुलासन कैसे करे
पदमासन की स्थिति में बैठो। फिर दोनों कोहनियों का सहारा देकर, फर्श पर लेट जाओ। अब दोनों हाथों की मुठ्ठियां बांधकर नितम्बों के नीचे रखो और सिर, पीठ व पदमासन लगे हुए पैरों को ज़मीन से ऊपर उठाओ। शरीर का सारा भार मुठ्ठियों पर टिके हुए नितम्बों पर रहे। इसी स्थिति में ठोडी को छाती से लगा कर रखो। इसको 30 सैकिण्ड से 2 मिनट तक करो और तीन बार दोहराएं। इस आसन में सम्पूर्ण शरीर का भार मुठ्ठियों और आखिर में उंगलियों पर तुल सकता है। इस आसन के नियमित अभ्यास से निचले भाग के अंगों में विशेष लचक उत्पन्न होती है और मेदे, छोटी और बड़ी आंत में जमा मल बाहर निकल जाता है। यह कण्ठ के समस्त रोगों को दूर करता है और हाथ-पैरों की उंगलियों में स्फूर्ति और लचक बढ़ाता है। इसके अभ्यास से जिगर, कन्धे और हाथ मज़बूत होते हैं और पूरा शरीर वशीभूत जैसा हो जाता है। .

पूर्णसेतुबंधनासन कैसे करे
पीठ के भार लेट कर टांगों को सामने की ओर फैला दो, फिर दोनों टांगों को आपस में मिलाकर ऊपर उठाओ। उनके पंजे ज़मीन पर ही टिके रहने चाहिएं। कमर तक का भाग पैरों के बल ऊपर उठा रहे। अब सिर और कन्धों पर पूरा भार डालते हुए कन्धों से नीचे कमर तक का पूरा भाग ऊपर उठाओ। अंत में दोनों हाथों से कमर को मज़बूती से पकड़ लें ताकि बीच का धड़ पुल की तरह ऊंचा उठा रहे। इस आसन के अभ्यास से गर्दन, कन्धे, कोहनियां, क्लाइयां, हथेलियां, जांघे, पिंडलियां, घुटने, टखने, पैर और वस्ती प्रदेश आदि सभी रोग नष्ट हो जाते हैं। सम्पूर्ण शरीर की मांसपेशियां और नाड़ियां मज़बूत होती हैं। श्लेष्मा जल जाता है। इसके फलस्वरूप खांसी, जुकाम, दमा आदि रोग हटते हैं। इससे वायु रोग भी नष्ट होता है।

चरम उदरधृतासन कैसे करे
सीधे खड़े हो जाओ। फिर अपने दायें पैर को बायीं जांघ के ऊपर ले जाकर रखो और दायीं भुजा को कमर के पीछे से ले जाकर उससे दायें पैर के पंजे को पकड़ो और बायें हाथ से दायें को साधे रखो। फिर गहरी सांस लो, उसके बाद उसको छोड़ते हुए नीचे की ओर इतना झुको कि बायां हाथ धरती को छूने लगे और यदि संभव हो तो बायां घुटना मस्तक द्वारा स्पर्श कर लिया जाये।। इस आसन का अभ्यास हाथों पैरों को पुष्ट बनाता है और पैरों के स्नायु सम्बन्धी रोगों को दूर करता है। यह शरीर में स्फूर्ति और संचार करके तंदुरुस्ती प्रदान करता है।

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