हार्ड डिस्क इंस्टॉलेशन और मेंटीनेन्स किसे कहते है
हार्ड डिस्क इंस्टॉलेशन और मेंटीनेन्स किसे कहते है हार्ड डिस्क क्या होता है हार्ड डिस्क के प्रकार हार्ड डिस्क में डाटा कैसे संग्रहित होता है हार्ड डिस्क क्या है इसकी क्या आवश्यकता है फ्लॉपी डिस्क किसे कहते हैं हार्ड डिस्क के नाम हार्ड डिस्क एवं कैश मेमोरी का वर्णन कीजिए हार्ड डिस्क एवं उसके architecture को समझाइये।
कम्प्यूटर में सबसे ज्यादा खराबी हार्ड डिस्क में ही आती है। इसलिये यह बहुत जरूरी है कि आपको हार्डडिस्क के बारे में इतनी व्यवहारित समझ हो कि आप जरूरत पड़ने पर उसे बदल सकें और उसके इरर मैसेज समझकर उनसे सम्बन्धित समस्याओं का समाधान कर सकें।
⇨ कम्प्यूटर में आप हार्ड डिस्क को उसकी सही जगह पर ले जाकर कस दें। कसने के विशेष स्क्रू का इस्तेमाल होता है जो कि कैबिनेट के साथ ही उपलब्ध होते हैं। जिस समय आप इन स्क्रूज़ को कसें तो इस बात का विशेष ध्यान रखें कि हार्ड डिस्क आप सीधी कस रहे हैं या नहीं।
⇨ इसके बाद आप इंटरफेस केबल को लें और हार्ड डिस्क के बैक साइड में बने हुए कनेक्टर से उसको जोड़ें। कनेक्टर से जोड़ते समय आप इस बात का ध्यान रखें कि कनेक्टर का पिन नंबर एक और केबल का पिन नंबर एक से पूरी तरह से मैच कर रहा है या नहीं।
⇨ इसके बाद आप पॉवर सप्लाई का विद्युत आपूर्ति का कनेक्टर लेकर हार्ड डिस्क में उस स्थान पर लगाएं जहां पर इसके लिए जगह बनी है।
⇨ विद्युत आपूर्ति कनेक्टर भी एक विशेष खांचे में लगाया जाता है और इसे लगाते समय इस बात का खास ध्यान रखें कि आप कहीं इसे उल्टा न लगा दें। उल्टा लगाने की अवस्था में हार्ड डिस्क पूरी तरह से खराब हो जाएगी।
⇨ इसके पश्चात हार्ड डिस्क से जुड़ी इंटरफेस केबल के दूसरे भाग को मदरबोर्ड में लगे साटा या आईडीई कनेक्टर से जोड़ दें।
⇨ इस कनेक्टर को भी जोड़ते समय आपको पिन नंबर एक को और पिन नंबर की तरफ ही रखना है। केबल में लाल रंग की पिन की स्थिति को दर्शाता है। लेकिन कुछ केबलें ऐसी हो सकती हैं जिनमें यह रंग न हो।
⇨ इसके पश्चात कंप्यूटर को ऑन करें और बायोस सेटअप में जाएं और बायोस सेटअप में आपको ऑटो डिटेक्ट हार्ड डिस्क नामक एक विकल्प मिलेगा। इस पर जाकर क्लिक कर दें या एंटर की को दबा दें। एंटर की को दबाते ही मदरबोर्ड स्वयं ही हार्ड डिस्क को खोजेगा, और खोजने के पश्चात उसके पैरामीटर आपके सामने लाएगा।
⇨ हार्ड डिस्क के साथ आए मैन्युअल से पैरामीटरों को मिलाएं। यदि ये हार्ड डिस्क की सही क्षमता को दर्शा रहे हैं तो इन्हें स्लेक्ट कर लें। २ स्लेक्ट करने के बाद आप बायोस के इन पैरामीटरों को सेव करें और वापस आ जाएं।
⇨ वापस आने के बाद अब आपको हार्ड डिस्क को फॉर्मेट करना है। हार्ड डिस्क को हार्ड डिस्क के साथ आई यूटीलिटी से भी फॉर्मेट कर सकते हैं। यह यूटीलिटी बड़ी से बड़ी हार्ड डिस्क के केबलों को सेकेंडों में फॉर्मेट करने की क्षमता रखती है।
⇨ इसके लिए आप सबसे पहले कंप्यूटर में लगी सीडी/डीवीडी ड्राइव के जरिए एक बूटेबल डिस्क के जरिए कंप्यूटर को बूट करें। वर्तमान समय में फ्लॉपी डिस्क ड्राइव के स्थान पर सीडी डीवीडी ड्राइव के द्वारा भी कंप्यूटर को बूट किया जाता है और डीवीडी डिस्क से ही एफ डिस्क (FDISK) नामक कमांड का इस्तेमाल किया जा सकता है।
⇨ जब आपका कंप्यूटर इन दोनों में से किसी एक के जरिए बूट हो जाए तो आप उसमें ऑपरेटिंग सिस्टम की डिस्क लगाएं और एफ डिस्क कमांड को चला दें।
⇨ जैसे ही एफ डिस्क कमांड क्रियान्वित होगा आपकी हार्ड डिस्क को खोजेगा और उसका विकल्प मीनू आपके सामने आ जाएगा। इस विकल्प मीनू में आपको सबसे पहले पार्टीशन बनाना है। पार्टीशन बनाने के लिए आपको विकल्प एफ डिस्क कमांड के तहत ही मिलेंगे।
⇨ यह विकल्प 1 2 3 और चार नंबरों के बीच में होते हैं। इन नंबरों से सबसे पहले आप प्राइमरी डॉट पार्टीशन बनाएं। जब आप इस संबंध में विकल्प नंबर को दबाएंगे तो स्क्रीन पर आपके सामने वह स्पेस निर्धारित करने के लिए विकल्प आएगा कि आप हार्ड डिस्क के कितने स्पेस को प्राइमरी डॉस पार्टीशन बनाना चाहते हैं। आप इससे संबंधित विकल्प को चुन लें।