ड्रम ब्रेक Drum Brake क्या होता है ?
ड्रम ब्रेक Drum Brake क्या होता है ? डिस्क ब्रेक और ड्रम ब्रेक में अंतर ड्रम ब्रेक किस धातु के बने होते हैं ड्रम और डिस्क ब्रेक बेटर डिस ब्रेक के बारे में जानकारी चाहिए
इस प्रकार के ब्रेकों में प्रत्येक पहिये पर एक ब्रेक ड्रम लगा होता है और धुरे के खोल पर बैक प्लेट लगी होती है। अगले धुरे पर बैक प्लेट स्टीयरिंग नक्कल से बोल्टों द्वारा संयोजित होती है।
बनावट Construction
ड्रम ब्रेक की बनावट की विशेषता यह है कि बैक प्लेट इस्पात की चादर से बनाई जाती है और दृढ़ता बढ़ाने के लिए इसे पसलीदार बनाया जाता है। इस पर विस्तारक, समंजक और ब्रेक गुटकों की व्यवस्था होती है और यह गुटका असेम्बली को कीचड़ और धूल से बचाती है। बैक प्लेट पर दो ब्रेक शू (brake shoe) लगे होते हैं। ब्रेक शू पर घर्षण लाइनिंग्स होती हैं। इसमें एक या दो रीट्रैक्टर स्प्रिंगों का प्रयोग भी किया जाता है। एक समंजक भी लगा होता है।
स्थिर विस्तारक Stable Expander
इस प्रकार के ब्रेक की क्रिया को समझने के लिए क्रिया में लीडिंग तथा ट्रलिंग शुज को समझना आवश्यक है, क्योंकि ये ब्रेक लगाने के दौरान प्रमुख भूमिका निभाते हैं व जब कोई ब्रेकिंग बल भी न लग रहा हो, तो भी अग्र गुटके का सिरा डम के साथ ही घिसटता चला जाता है, जबकि अनुगामी गुटके का सिरा इस स्थिति में ब्रेक से दूर फेंक दिया जाता है।
प्लवमान विस्तारक Floating Expander
इस प्रकार के ब्रेक में विस्तारक कैम पिछली प्लेट पर स्थिर नहीं होती, बल्कि प्लवमान (floating) रहती है। फलत: दोनों गुटकों पर असमान ब्रेकिंग प्रभाव अपने अपि सन्तुलित होकर बराबर हो जाते हैं। यदि एक गुटके की लाइनिंग दूसरे गुटके से अधिक घिसी हुई हो तो भी प्लवमान विस्तारक (floating expander) एक दिशा में सरक जाता है, जिससे दोनों गुटकों पर वही प्रचालन बल लगता है।
चकती ब्रेक Disc Brake
कुछ ट्रैक्टरों में डिस्क टाइप ब्रेकों को प्रयोग भी किया जाता है। इसमें मल्टी प्लेट क्लच के समान कई ब्रेक डिस्कें तथा प्रेशर प्लेटें प्रयोग की जाती हैं। ब्रेक असेम्बली एक हाउजिंग में ट्रैक्टर की चेसिस से जुड़ी रहती है। ब्रेक असेम्बली में दो ब्रेक डिस्कें व प्रेशर प्लेटें प्रयोग की जाती हैं। दोनों डिस्क प्लेटें बॉल तथा स्प्रिंग द्वारा एक-दूसरे से अलग की जाती हैं। ब्रेक डिस्कों के साथ लगी प्रेशर प्लेटों पर नक्के बने होते हैं जोकि कनेक्टिग लिंक द्वारा जुड़े रहते हैं। कनेक्टिग लिंक ब्रेक शाफ्ट से जुड़ी रहती है। जब ब्रेक पैडल दबाया जाता है तो ब्रेक शाफ्ट कनेक्टिग लिंक द्वारा प्रेशर प्लेटें समीप आ जाती हैं तथा बॉल जो खांचों में थीं वह खांचों से बाहर की ओर फैलती हैं, जिससे ब्रेक डिस्कें ड्राइव शाफ्ट पर लगी हाउजिंग के साथ रगड़ खाने लगती हैं तथा ब्रेक लग जाता है जब ब्रेक पैडल पर से दबाव हटाया जाता है तो प्लेटों के बीच लगी स्प्रिंग ब्रेक डिस्कों को परानी दशा में ले आती है तथा ब्रेक रिलीज हो जाता है।