OSI मॉडल की लेयरें किसे कहते है
OSI मॉडल की लेयरें किसे कहते है OSI model layers OSI Full Form OSI मॉडल की दूसरी परत के लिए संचार उपकरण है ओएसआई मॉडल की परतों के लिए आरेख बनाएं OSI Model in Hindi pdf osi model तथा इसके लेयर को विस्तार करें।
इस ओएसआई मॉडल से परिचित होने के बाद आइये एक-एक करके इसके अंतर्गत आने वाली लेयरों के फंक्शन्स को समझें
• फिजिकल लेयर: यह इस मॉडल की भौतिक परत या लेयर होती है जो विद्युतीय और भौतिक निर्देशों को परिभाषित करती है। विशेष रूप से यह किसी डिवाइस और भौतिक माध्यम के बीच के सम्बंध को परिभाषित करती है। इसमें पिन, वोल्टेज, केबल निर्देश, नेटवर्क हब, रिपीटर, नेटवर्क कार्ड, होस्ट बस एडेप्टर इत्यादि शामिल होते हैं।
यह फिजिकल लेयर किसी उपकरण को यह बताती है कि किसी किसी माध्यम को कछ प्रेषण कैसे किया जाये. या उससे कुछ कैसे प्राप्त किया जाये। इस लेयर के द्वारा मिलने वाली सेवायें निम्न हैं
• किसी जुड़ाव का किसी संपर्क माध्यम से जुड़ना या अलग होना।
अनेक यूजरों के मध्य रिसोर्सेज या संसाधनों को शेयर करने की प्रक्रिया में भाग लेना । उदाहरण के लिये अंतर्विरोध सुलझाना और फ्लो कंट्रोल करना।
डिजिटल डेटा के यूजर की डिवाइस में प्रतिनिधित्व और संचार प्रणाली में प्रसारित होने वाले संकेतों या सिगनल के मध्य रूपांतरण। ये सिगनल कॉपर वॉयर, फाइबर ऑप्टिक केबल या वाई-फाई कनेक्टिविटी से प्राप्त होते हैं।
– यदि आप फिजिकल लेयर और डेटा लिंक लेयर के बीच अंतर को समझना चाहते हैं तो यह अंतर है कि फिजिकल लेयर एक उपकरण के किसी माध्यम के साथ विनिर्देश से सम्बन्धित होती है और डेटा लिंक लेयर का वास्ता मुख्य रूप से कम से कम दो उपकरणों का शेयर किये माध्यम के साथ विनिर्देश से है। पैरलल स्कैजी बस इसी परत के अंगर्गत आती है।
● डेटा लिंक लेयर: यह लेयर नेटवर्क यूनिटों के मध्य डेटा का आदान-प्रदान करने के लिये कार्यपरक और प्रक्रियात्मक विधि प्रदान करती है और साथ ही फिजिकल लेयर में इरर का पता लगाने के लिये और इन्हें सुधारने के लिये भी कार्य करती है। इस डेटा लिंक लेयर का शुरुआती प्रयोग प्वाइंट-टु-प्वाइंट और प्वाइंट-टु-मल्टीप्वाइंट माध्यमों में किया जाता था। इसे टेलीफोन प्रणाली में प्रयोग किया जाता रहा है। बाद में इसे लोकल एरिया नेटवर्क के लिये विकसित किया गया।
→ वाइड एरिया नेटवर्क में डेटा लिंक लेयर का प्रयोग स्ट्रक्चर का निर्माण करने, उसमें इरर खोजने और उन्हें ठीक करने के लिये भी करते हैं। ये प्रसारण दर को कंट्रोल करती है। इसकी वजह से सभी स्ट्रक्चरों में रिलायबल डेटा वितरण होता है।
नेटवर्क लेयरः नेटवर्क लेयर एक या एक से ज्यादा नेटवर्कों के द्वारा सोर्स से डेस्टीनेशन के बीच की दूरी को डेटा पैकेट स्थानान्तरित करने के कार्य सम्बन्धी व प्रक्रिया सम्बन्धी जरिया प्रदान करता है। इस प्रोसेस में नेटवर्क लेयर, ट्रांसपोर्ट लेयर के द्वारा की गयी सर्विस रिक्वेस्ट की गुणवत्ता को बनाये रखता है। यह लेयर डेटा पैकेट को रि-रूट कर सकती है और उसे छोटे-छोटे पैकटों में तोड़ सकती है तथा जरूरत पड़ने पर पुनः जोड़ती भी है।
यदि डेटा डिस्ट्रीब्यूशन में किसी तरह की इरर हैं तो उनकी जानकारी भी यही लेयर प्रदान करती है। नेटवर्क लेयर का सबसे अच्छा उदाहरण है आईपी अर्थात इंटरनेट प्रोटोकॉल । यह डेटा के जुड़ावहीन स्थानान्तरण को मैनेज करता है।
ट्रांसपोर्ट लेयरः ट्रांसपोर्ट लेयर यूजरों के बीच डेटा का आदान प्रदान करती है और अपने से ऊपर की लेयरों को डेटा ट्रांसफर की रिलायबल सेवायें प्रदान करती है। यह लेयर किसी भी लिंक की विश्वसनीयता को कंट्रोल करती है और इसके लिये फ्लो कंट्रोल, इरर कंट्रोल तथा विभाजन/अविभाजन का प्रयोग करती है। इसी वजह से यह लेयर विभाजनों का हिसाब रख पाती है और जहां त्रुटि आये उन्हें फिर से भेज सकती है। इस परत के प्रमुख उदाहरण हैं टीसीपी और यूडीपी।
ओएसआई मॉडल की तुलना आप डाकखाने से कर सकते हैं। जिस तरह से पोस्ट ऑफिस प्राप्त चिठ्ठियों के प्रेषण और वर्गीकरण का काम करता है यह लेयर भी उसी तरह से काम करती है।